कोष मूलो दंड
देश के आयकर विभाग का आदर्श वाक्य ‘कोष मूलो दंड:’ है, जिसका अर्थ है कि ‘ राजस्व अथवा राजकोष प्रशासन की रीढ़ है।
आचार्य चाणक्य के ये शब्द राष्ट्र निर्माण और सुशासन के लिए कर राजस्व के महत्व पर बल देते हैं। उन्होंने कहा था कि सरकारों को कर उसी तरह लेना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूल से केवल उचित मात्रा में ही शहद लेती है और यह सुनिश्चित करती है कि दोनों का ही अस्तित्व बना रहे। वास्तव में, कर से विकास और ढांचागत परियोजनाओं को वित्त प्राप्त होता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
